सॉफ्टवेयर कैसे बनाये – Software Kaise Banta hai In Hindi .

Software Kaise Bnaye In Hindi Software प्रोग्राम का एक सेट होता है जो कंप्यूटर को संचालित करने और विशेष कार्य को पूरा करने के लिए उपयोग किया जाता है हार्डवेयर जो कंप्यूटर के भौतिक  पहलुओं के वर्णन करता है इसके उल्टा सॉफ्टवेयर एक सामान्य शब्द है जिसका उपयोग किसी डिवाइस पर चलने वाली एप्लीकेशन स्क्रिप्ट और प्रोग्राम को इंडिकेट करने के लिए किया जाता है .

Software शब्द सुनते ही कई बार दिमाग में एक सवाल जरूर आता है की सॉफ्टवेयर कैसे बनता है ? और सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट की प्रक्रिया क्या होती है आज के इस पोस्ट में सॉफ्टवेयर कैसे बनाते हैं और उसे बनाते वक्त किन किन बातों का ध्यान रखना पड़ता है इन सब चीजों के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी अगर आपको सॉफ्टवेयर सही तरीके से बिना किसी गलती के बनाना है तो आप इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें.

 

Software क्या होता है ? 

 

Software इंस्ट्रक्शन है जो कंप्यूटर को विशेष कार्य को करने के लिए इंस्ट्रक्शन देता है इंस्ट्रक्शन के इस सेट को एक प्रोग्राम के रूप में भी जाना जाता है यह सॉफ्टवेयर जो कंप्यूटर पर चल रहे हैं बाइनरी कोड 1 to 0 के रूप में होते है  लेकिन बायनरी के रूप में सॉफ्टवेयर लिखना असंभव और थकाऊ है  इसलिए इंजीनियरों ने कई सारे प्रोग्रामिंग लैंग्वेज जैसे सी सी प्लस प्लस जावा पाइथन आदि को बनाया कभी-कभी दो या दो से अधिक लैंग्वेज इज का उपयोग एक विशेष सॉफ्टवेयर को बनाने के लिए किया जाता है.

 

 

Software Kaise Banta Hai –

 

किसी भी प्रोग्राम को किसी भी लैंग्वेज का उपयोग करते हुए लिखा जा सकता है जो किसी भी इंसान के समझ में आ जाती है जिसे प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की  जानकारी होती है इससे सोर्स कोड कहा जाता है और कंपाइलर प्रोसेस की सहायता से इस रिसर्च कोड को बनाने के बाद इसे टेबल फाइल में बदल दिया जाता है कोई भी सिंपल प्रोग्राम एक  डेवलपर द्वारा उचित समय में लिखा जा सकता है .

 

Software Kaise Bnaye In Hindi .

 

हालांकि पेशेवर सॉफ्टवेयर में सैकड़ों डेवलपर शामिल हो सकते हैं एक बड़े सॉफ्टवेयर को सैकड़ों या हजारों फाइल में विभाजित किया जाता है सॉफ्टवेयर डेवलपर अपने सॉफ्टवेयर पर कड़ी मेहनत करते हैं लेकिन कोड के साथ हमेशा कुछ समस्याएं होती हैं और हम इन समस्याओं को एरोर कहते हैं .

Software का एक हिस्सा पब्लिक के लिए जारी करने के बाद भी सॉफ्टवेयर डेवलपर बग्स को ठीक करना जारी रखना होता है और सॉफ्टवेयर को और बेहतर बनाना होता है यही कारण है कि सॉफ्टवेयर में समय-समय पर अपडेट आते रहते हैं .

 

सॉफ्टवेयर को दो अलग-अलग तरीकों से बनाया जा सकता है .

1.PROPRIETARY

2.OPEN SOURCE

1.PROPRIETARY – किसी इंसान या सॉफ्टवेयर का कंपनी के स्वामित्व वाला सॉफ्टवेयर बेचने के लिए बनाया जाता है इसके सोर्स कोड पब्लिक के लिए जारी नहीं किए जाते हैं केवल सॉफ्टवेयर जारी किया जाता है .

2.OPEN SOURCE – ऐसे सॉफ्टवेयर फ्री होते है और इसके सोर्स कोड फ्री होते हैं इसके सोर्स कोड को कोई भी एक्सेस कर सकता है open source सॉफ्टवेयर मालिकों को डोनेशन के माध्यम से पैसा मिलता है .

 

Open Source Software kya hai ?

 

Software कितने प्रकार के होते है ? 

  1. Application Software
  2.  System Software

 

1. Application Software-  ऐसे सॉफ्टवेयर जो यूजर के काम आता है उदाहरण के लिए एमएस वर्ड कार फॉक्स आदि एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर वह होता है जो कंप्यूटर सिस्टम का उपयोग विशेष कार्य को करने के लिए करता है या कंप्यूटर के मूल संचालन के परे एंटरटेनमेंट कराता है अब कई अलग-अलग एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर बन रहे हैं

 

2. System Software-  ऐसे सॉफ्टवेयर जो सिस्टम या कंप्यूटर पर काम करता है उदाहरण के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम ओ यस ड्राइव फर्मवेयर इत्यादि सिस्टम सॉफ्टवेयर वह होते हैं जो कंप्यूटर के हार्डवेयर को मैनेज करता है सिस्टम सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को चलाने के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए भी भी डिजाइन किया था .

 

अब जानते हैं कि आप एक सॉफ्टवेयर कैसे बना सकते हैं ? 

 

1. Find Your Interest ( अपना इंट्रेस्ट ढूंढे )

सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के दो बेसिक टाइप  होते हैं जो हमने अभी आपको बताया एक तो होता है एप्लीकेशन डेवलपमेंट और दूसरा होता है सिस्टम डेवलपमेंट तो आपको पहले यह डिसाइड करना होगा कि आपको कौन सी टाइप का सॉफ्टवेयर बनाना है या आप का मन किसमे  है .

2. Learn A Programming Language ( एक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सीखे ) 

कुछ नया करने के लिए कुछ नया बनाना का आईडिया किसी के भी दिमाग में आ सकते हैं लेकिन उन आइडिया को एक डेवलपर ही मूल रूप दे पाता है यहां तक कि अगर आप सिर्फ सॉफ्टवेयर की डिजाइन पहलु  पर काम करना चाहते हैं तो भी आप को कोडिंग आनी चाहिए  बहुत सारे प्रोग्रामिंग लैंग्वेज मौजूद हैं जिनमें से आप कोई सा भी सीख सकते हैं इनमें से कुछ इंपॉर्टेंट है।

  • CC Language
  • C++
  • Java
  • C#
  • Python

 

3.Find Resources ( रेसौर्सेस ढूंढे )

ज्यादातर बुक स्टोर में एक पूरा सेक्शन प्रोग्रामिंग से भरी होती है इसके अलावा अमेजॉन जैसे इ कमर्स साइट पर भी आपको बहुत सारी किताबें मिल जाएंगे आपके पास अच्छे तरह से लिखे गए प्रोग्रामिंग बुक्स होने चाहिए ताकि आप सॉफ्टवेयर बनाते समय उनकी मदद ले सके और कोडिंग अच्छे से सीख सकें किताबों के अलावा इंटरनेट पर आपको बहुत सारे प्लेटफार्म मिल जाएंगे जहां से आप मदद ले सकते हैं.

 

4. Consider ( विचार करें )

एक अच्छा प्रोग्राम और एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया गया जो एक की वजह यूज़र के लिए इस्तेमाल करना आसान और इंटरेस्टिंग होगा उस सॉफ्टवेयर को देखे हैं जिस पर आप काम कर रहे हैं और देखें कि क्या ऐसे तरीके हैं जो डेवलपमेंट प्रोसेस को आसान बना सके।

 

5. Make A Prototype ( एक प्रोटोटाइप बनाये )

यह एक बेसिक प्रोग्राम है जो उन सेक्शन को हाईलाइट करता है जिसे आप अजीब करना चाहते हैं आप प्राप्त करना चाहते हैं एक प्रोटोटाइप एक क्विक  प्रोग्राम होता है और जब तक आपको ऐसा डिजाइन नहीं मिल जाता जो काम करें तब तक इसे मॉडिफाई किया जाना है अगर आप एक कैलेंडर  प्रोग्राम बना रहे है तो आप का प्रोटोटाइप कैलेंडर होगा इसमें दो बातों का ध्यान रखना होता है

पहला तो यह यह सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के दौरान आप का प्रोटोटाइप बार-बार बदलना चाहिए क्योंकि आप जैसे जैसे अपने प्रॉब्लम को सॉल्व करने के नए तरीके ढूंढते हैं वैसे वैसे आपको अपने प्रोटोटाइप में भी बदलाव करने होंगे

दूसरा यह है कि प्रोटोटाइप सुंदर होना चाहिए जरूरी नहीं है असल में आर्ट  और डिजाइन उन अंतिम चीजों में से एक होनी चाहिए जिन पर आप काम कर रहे हैं क्योंकि यूजर प्रोटोटाइप के डिजाइन को नहीं देखता उसके सामने फाइनल सॉफ्टवेयर पहुंचता है

 

6. Test Again And Again ( बार-बार टेस्ट करें )

कोड में  एयर और ज्यादा इस्तेमाल से प्रॉब्लम हो सकती है इन एरर को टेस्ट करके ही पहचाना जा सकता है और ठीक किया जा सकता है अपने दोस्तों और अपने परिवारों को सॉफ्टवेयर दें और टेस्ट करने को कहा फिर वह एक यूजर  की तरह उसकी कमियों को बताएंगे जिसे आप ठीक कर सकते हैं .

अपने Software को टेस्ट करने के लिए बिहेवियर का इस्तेमाल ना करेंउदाहंरण के लिए अगर आपके पास ऐसा फॉर्म है जो यूज का एज पूछता है तो इसे नंबर की जगह वर्ड अक्षर डाले और देखें कि क्या होता है या अगर आपके प्रोग्राम में ग्राफिकल इंटरफेस तो सब पर क्लिक करें जब आप पिछले स्क्रीन पर वापस जाते हैं या गलत क्रम में बटन क्लिक करते हैं तो क्या होता है देखें और गलती मिलने पर सुधार करें।

 

सॉफ्टवेयर बनाते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ? 

 

1. Quality And Reliability – जब भी आप नया सॉफ्टवेयर बनाएं तो सॉफ्टवेयर की क्वालिटी पर विशेष ध्यान दें खास तौर पर कमर्शियल और सिस्टम सॉफ्टवेयर के लिए यदि सॉफ्टवेयर दोषपूर्ण है तो किसी व्यक्ति के काम के मैं लेट कर सकता है कंप्यूटर को क्रॉस  कर सकता है और भी कई सारी छेड़छाड़ कर सकता है .

एयर को Bugs कहा जाता है जो अक्सर अल्फा और बीटा  के दौरान खो जाते हैं सॉफ्टवेयर टेस्टिंग के जरिए कई Bugs खोजें और मिटाए जाते हैं हालांकि सॉफ्टवेयर टेस्टिंग के समय शायद ही सभी Bugs को खत्म करता है कुछ प्रोग्राम और कहते हैं कि हर प्रोग्राम में कम से कम एक Bugs होता है सॉफ्टवेयर की टेस्टिंग यूनिट टेस्टिंग रिग्रेशन टेस्टिंग और कई दूसरे सारे मेथड से की जा सकती है जिसे मैनुअली किया जा सकता है टेस्टिंग किए जाने वाले गोड्स  को संख्या काफी बड़ी हो सकती है उदाहरण के लिए नासा के पास कई ऑपरेटिंग सिस्टम और कम्युनिकेशन कंट्रक्शन के लिए बड़े मजबूत सॉफ्टवेयर मशीन है .

 

2. License – सॉफ्टवेयर का लाइसेंस यूजर को सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने का अधिकार देता है और मुफ्त सॉफ्टवेयर लाइसेंस के माध्यम से दूसरे अधिकारों जैसे जैसे कॉफी बनाने का अधिकार भी देता है .

 

Software को कितने भागों में बांटा जा सकता है ? 

सॉफ्टवेयर को दो भागों में बांटा जा सकता है

Freeware जिसमें फ्री ट्रायल सॉफ्टवेयर या प्रीमियम सॉफ्टवेयर की कैटेगरी को शामिल किया जाता है जैसे कि नाम से ही पता चलता है कि फ्रीवेयर का उपयोग मुफ्त में किया जा सकता है हालांकि फ्री ट्रायल या प्रीमियम सॉफ्टवेयर के मामले में यह कभी-कभी लिमिटेड टाइम पीरियड के लिए या लिमिटेड फंक्शन के साथ इस्तेमाल करने के लिए मिल पाता है ऐसे सॉफ्टवेयर में एडोबी के सॉफ्टवेयर को गिना जा सकता है .

दूसरे तरह के वह Software होते हैं जो कुछ भी फीस पे करने  के बाद इस्तेमाल करने के लिए मिल जाते हैं आप प्ले स्टोर पर भी देखते होंगे कि कुछ एप्लीकेशन फ्री होती हैं और कुछ रुपयों में मिलती हैं ऐसे ही सॉफ्टवेयर के साथ होता है ऐसे सॉफ्टवेयर को अक्सर कमर्शियल सॉफ्टवेयर कहा जाता है इसे केवल लाइसेंस की खरीद पर संपूर्ण रूप से उपयोग किया जा सकता है दूसरी ओर ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर मुफ्त सॉफ्टवेयर लाइसेंस के साथ आता है .

निष्कर्ष 

तो उम्मीद है कि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा हम पूरी कोशिश करते हैं कि हमारे आर्टिकल के द्वारा दिए गए विषय Software Kaise Bnaye In Hindi . पर पूरी जानकारी आपको प्राप्त हो अगर आप को इस आर्टिकल से जुड़ी कोई भी परेशानी हो तो आप हमें नीचे कमेंट में बता सकते हैं जिससे हम आपके परेशानी को जल्द से जल्द दूर कर सकें.

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RAHUL

नमस्कार दोस्तो मेरा नाम राहुल विश्वकर्मा है , और मै इस ब्लॉग का फाउंडर हूँ । मैं अभी कंप्यूटर साइंस से डिप्लोमा कर रहा हूँ , मुझे टेक्नोलॉजी से संबंधित जानकारी शेयर करना बेहद पसंद है । अगर आप टेक्नोलॉजी , कंप्यूटर , इंटरनेट और ऑनलाइन पैसे कैसे कमाये से सम्बंधित विषय मे रुचि रखते है , तो यह ब्लॉग आप के लिए ही बनाया गया है ।

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